किसी को फर्क क्यूँ हो??

किसी को फर्क क्यूँ हो??
मेरे ही दिल में दर्द क्यूँ हो??
जनाजे देख के ऑंखें नाम क्यूँ हो?
नफरत के ही नज़ारे फैले है हर तरफ...
मेरे ही दिल में हलचल क्यूँ हो??
किसी को फर्क क्यूँ हो??
मोहल्लो में रोते हैं लाखो भिखारी,
मेरा ही दिल एक कद्रदान क्यू हो?
अय्याशियों की बगलों में मर रहे हैं लोग
लेकिन किसी को फर्क क्यूँ हो?
किसी को फर्क क्यूँ हो?
सड़क किनारे जिंदगी बिताने को बेघर अभिशप्त क्यूँ हो?
पैदा कर भट्ठियों में झोंकने को माँ मजबूर क्यूँ हो??
किसान बुखों मरे, अमीरों को अफ़सोस क्यूँ हो??
लाखों मरते रोज, मरें, किसी को फर्क क्यूँ हो??
किसी को फर्क क्यूँ हो??
महलों के बगल में अजायब भुखमरी पसरी है...
उन्हें सिर्फ उस बदबू से परेशानी है जो इस गरीबी से आई है....
हमें तो उस खुशबू से नफरत है जो इनके खून से आई है......
लेकिन इस खुशबू-बदबू के खेल से किसी को फर्क क्यूँ हो??
किसी को फर्क क्यूँ हो??
महलों में तो बस मजे मलाई हैं....
गरीबी के पसरे अंदाज से वो हैरान क्यूँ हो?
पर बदबू से वो परेशान हैं, नाली में पड़ी लाश की.....
इंसान क्यूँ मरा, किसी को फर्क क्यूँ हो??
किसी को फर्क क्यूँ हो??
स्वराज के कुराज के शिकार से मुझे ही सदभावना क्यूँ हो??
अवाम की आवाज़ की पुकार से मेरी ही नींद भंग क्यूँ हो??
विशाल से विराट हुए हिंसा के हाहाकार से
सुख जाये प्रेम, किसी को फर्क क्यूँ हो??
किसी को फर्क क्यूँ हो??
गाँधी का ये देश खून से लतपथ क्यूँ हो??
महफ़िल में रंग सजी, अकेला मरघट क्यूँ हो??
अनादर, अत्याचार मात का होता रहे लेकिन,
नपुंसक समाज में, किसी को फर्क क्यूँ हो??
मेरे ही दिल में दर्द क्यूँ हो??
मेरे ही दिल में दर्द क्यूँ हो??
लेकिन किसी को फर्क क्यूँ हो??

Comments

  1. sabse pehle to bahut bahut shukriya apka ..apna keemti samay mere blog par dene k liye ..thanks a lot ...अनादर, अत्याचार मात का होता रहे लेकिन,
    नपुंसक समाज में, किसी को फर्क क्यूँ हो??
    मेरे ही दिल में दर्द क्यूँ हो??
    मेरे ही दिल में दर्द क्यूँ हो??
    लेकिन किसी को फर्क क्यूँ हो
    really gr88 work! ek jhunjhlahat or maatheki shikan liye hue bahut bhaa poorn rachna hai ..koshish karoongi sabhi old posts padhoon ...
    likhte rahiye ..best wishes

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  2. महलों के बगल में अजायब भुखमरी पसरी है...
    उन्हें सिर्फ उस बदबू से परेशानी है जो इस गरीबी से आई है....
    हमें तो उस खुशबू से नफरत है जो इनके खून से आई है......
    लेकिन इस खुशबू-बदबू के खेल से किसी को फर्क क्यूँ हो?? .....very touching n thought provoking.....

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