आओ आज जरा दिल की सुनें ...
पूर्व निश्चित कदमों को जरा देर को थामें...
हजारों नसीहतों को अनसुना करें...
और वो करें जो दिल चाहता है...
आओ ज़िन्दगी को कुछ पल की मोहलत दें.....
आओ आज जरा दिल की सुनें...
आओ आज जरा दिल की सुनें .....
नफे-और-नुक्सान के तराजू को छोड़ें...
अविश्वास के धुंधलके को हटायें...
किसी से आगे बढ़ने की होड़ में न पड़ कर...
इंसान को इंसानियत के नज़रिए से देखें...
आओ आज जरा दिल की सुनें.....
आओ आज जरा दिल की सुनें .....
कुछ देर को इस आत्माविलोचन को थामें...
तुलनात्मक समाज से कुछ ऊपर चलें...
आओ अपनी हस्ती को आज सलाम करें...
प्रकृति का कुछ सम्मान करें...
आओ आज जरा दिल की सुनें.....
पूर्व निश्चित कदमों को जरा देर को थामें...
हजारों नसीहतों को अनसुना करें...
और वो करें जो दिल चाहता है...
आओ ज़िन्दगी को कुछ पल की मोहलत दें.....
आओ आज जरा दिल की सुनें...
आओ आज जरा दिल की सुनें .....
नफे-और-नुक्सान के तराजू को छोड़ें...
अविश्वास के धुंधलके को हटायें...
किसी से आगे बढ़ने की होड़ में न पड़ कर...
इंसान को इंसानियत के नज़रिए से देखें...
आओ आज जरा दिल की सुनें.....
आओ आज जरा दिल की सुनें .....
कुछ देर को इस आत्माविलोचन को थामें...
तुलनात्मक समाज से कुछ ऊपर चलें...
आओ अपनी हस्ती को आज सलाम करें...
प्रकृति का कुछ सम्मान करें...
आओ आज जरा दिल की सुनें.....
zabardasstt!
ReplyDeleteRemember, someday someone said to you (actually wrote for you) "Follow your writings" ;)
ReplyDeleteSir, we both have some super connection :D
ReplyDeleteI never knew you were a poet. Now there is something we can talk about other than moots and studies ;)
About the poem: Jhakkas!! :D (y)