इंसाफ



दिल्ली गैंग रेप कांड के बाद हुए इंडिया गेट पर प्रदर्शन के दौरान मारे गए पुलिस के शहीद कांस्टेबल सुभाष चंद्र तोमर की मृत्यु से प्रस्फुटित यह रचना एक कटाक्ष है आज के युवा वर्ग पर और उसकी सोच पर....

इंसाफ ... इंसाफ... और इंसाफ !!
आज के युवा वर्ग को सिर्फ इन्साफ चाहिए...
एक दुराचार पर एक मौत चाहिए
सप्ताहांत पर कुछ रोमांच चाहिए
सड़कों पे उन्माद चाहिए
पार्कों में एकांत चाहिए
हमें सिर्फ इंसाफ चाहिए...

कानून में बदलाव चाहिए
बेल (BAIL) के खेल का संहार चाहिए
आरोप लगते ही – मृत्यु का प्रहार चाहिए
राष्ट्रपति भवन में – विरोध का अधिकार चाहिए
हमें सिर्फ इंसाफ चाहिए...

सड़कों पे रौशनी और घरों में बार (BAR) चाहिए
हमें पब्लिक प्लेस (PUBLIC PLACE) पे धूम्रपान का अधिकार चाहिए
हर गली हर नुक्कड़ पर पुलिसिया कार चाहिए
और न हो तो अधिकारीयों के तबादले चार चाहिए
हमें सिर्फ इंसाफ चाहिए...

जिस मीडिया (MEDIA) को नज़र से नज़रिया बना डाला
उसकी ख़बर बनने – बनाने का अधिकार चाहिए
देश की नईया को नेताओं ने खूब डुबाया
अब नौका पलटने का औज़ार चाहिए
हमें सिर्फ इंसाफ चाहिए...

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