गुजरते पलों में जिंदगी की एक तलाश है
हजारों आँसुओ को एक खेवनहार की आस है
गलतियाँ अनगिनत, उसूलों का आभास है
सही और गलत के मध्य शून्य का अट्टाहास है
अनजाने लक्ष्य को पाने को – निर्बोध प्रयास है
हर पल एक प्रयोग है – हर पल एक हार है
जीवन में विजय का बस मृत्यु ही आधार है
प्रलय की परिकल्पना में चहुँओर हाहाकार है
समृध्धि के वेश में फैला घनघोर अंधकार है
वक्त की हर मुस्कान में साजिश कोई खूंखार है
त्यौहारों और मेलों में भी सबके दिल सुनसान हैं
खूबसूरती पसरी वहां जहां कब्रिस्तान है
अहं की निरंकुशता पर हमें पूरा अभिमान है
भटकती राहों पर ही मरघट का सामान है
फिर भी जिन्दा दिली से जो जिए – वही सच्चा इंसान है !!
Comments
Post a Comment