चिलचिलाती धूप में
खेतों की फटती ज़मीन के बीच
दिन भर बैठा रहा वो
माथे पे हाथ धरकर
आसमान को तकता...
अब प्रार्थना करने को कोई देवता या पुरखे बाकी न थे...
इसलिए वो चुपचाप बस आसमान को ताकता रहता था...
आखिर उम्मीद ही तो सहारा थी
और आसमान के अलावा कोई उम्मीद का सौदागर भी तो न था,
जब सूने नीले आसमान में उसे
अपने भूखे बच्चे की सूरत दीख पड़ती
तो वो अचानक अपने गमछे में सर डाल कर थोड़ा सा रो पड़ता था
और फिर उसी निर्भाव रूप से देखने लगता था
नीले आसमान की तरफ...
और इधर
सुबह से हो रही वर्षा के कारण
सड़कों पर घुटने तक पानी लगा था
गाड़ियों ने जाम लगा रक्खा था
हॉर्न का शोर इतना की बारहवीं मंजिल पर भी
लोगों को खिड़कियाँ बंद करनी पड़ी थीं
और लोग
बादलों को कोस रहे थे....
खेतों की फटती ज़मीन के बीच
दिन भर बैठा रहा वो
माथे पे हाथ धरकर
आसमान को तकता...
अब प्रार्थना करने को कोई देवता या पुरखे बाकी न थे...
इसलिए वो चुपचाप बस आसमान को ताकता रहता था...
आखिर उम्मीद ही तो सहारा थी
और आसमान के अलावा कोई उम्मीद का सौदागर भी तो न था,
जब सूने नीले आसमान में उसे
अपने भूखे बच्चे की सूरत दीख पड़ती
तो वो अचानक अपने गमछे में सर डाल कर थोड़ा सा रो पड़ता था
और फिर उसी निर्भाव रूप से देखने लगता था
नीले आसमान की तरफ...
और इधर
सुबह से हो रही वर्षा के कारण
सड़कों पर घुटने तक पानी लगा था
गाड़ियों ने जाम लगा रक्खा था
हॉर्न का शोर इतना की बारहवीं मंजिल पर भी
लोगों को खिड़कियाँ बंद करनी पड़ी थीं
और लोग
बादलों को कोस रहे थे....
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