गुलदस्ते

यूँ तो मैं कवि हूँ
अपने बाग़ में मैंने
बहुत से सुन्दर शब्दों के
पौधे उगायें हैं,
कभी कभी यूँ ही
कुछ रंगीन शब्दों को चुनकर
गुलदस्ते बनाकर
लगा देता हूँ
खिड़कियों के पास...
लेकिन किसी रिश्ते की खातिर कभी गुलदस्ता बनाने जाऊं
तो न जाने कहाँ गायब हो जाते हैं यें,
शायद ये समझाना चाहते हैं,
की कुछ रिश्तों में
गुलदस्ते नहीं दिए जाते

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