तीन त्रिवेणी

कह दे तुझे तेरी जगह दिखाने वालों से,
पंछी की उड़ान परो से बड़ी होती है,
प्रतिभा या उम्मीद से कोशिश बड़ी होती है...

-------X-----X-----X-----

तुझे अलविदा कह भी दिया,
तेरी याद में तड़पता भी हूँ,
अपनी इस बेखुदी पे मै फिर सिसकता भी हूँ...

-------X-----X-----X-----

तुझसे कोई इज़हार करने की कोई ख्वाहिश न थी
दीदार की आँखों की ख़ता मुआफ़ कर,
किसी महफ़िल में मेरी बिन बुलाये जाने की परवरिश न थी

Comments

  1. Nice poetic assemblage of thoughts.. nice lines prateek..

    ReplyDelete
  2. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete

Post a Comment