बेज़ुबान on August 22, 2016 Get link Facebook X Pinterest Email Other Apps ट्रैफिक कि बत्तियों से रंगीन, पड़ोस के पुरातन मस्जिद में बने घोंसलों से आबाद, दिन भर की भाग-दौड़ के बाद सुस्ताता, दिल्ली का एक बेचारा बेज़ुबान चौराहा... इसके अश्क नहीं रुकते जब किसी बेटी की यहाँ आबरू लुटती है, इसकी भी आत्मा चीखती है उस के साथ, कई दिनों तक बेसुध बेज़ार पड़ा रहता है ये भी, इसके भी तो दामन पे दाग लगता है, आरोपों के अंगारों से दागा इसको भी तो जाता है, उस लाडली की चीख़ें इसे फिर कभी सोने नहीं देती, आख़िर ये भी तो दर्द समझता है, बेरहम दरिन्दों से रौन्दे जाने का... Comments
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