बेरहम

बड़ी बेरहम थी वो रात
जब उसने मेरी मोहब्बत से
यकायक यक़ीन उठा लिया
एक पल को न होश आया न गया
गोया ये तो हुआ की उस रात
हमनें भी मुहब्बत से यक़ीन उठा तो लिया
लेकिन
बड़ी बेरहम थी वो रात
जब उसने मेरी मोहब्बत से
यकायक यक़ीन उठा लिया
यकायक एक ही पल में
उन्होंने मुझे
ता-उम्र की गयी
हर ख़ता की हर सज़ा से
रिहा कर दिया
मैं ऐसे माशूक़ का
शुक्रगुज़ार तो हूँ
लेकिन
बड़ी बेरहम थी वो रात
जब उसने मेरी मोहब्बत से
यकायक यक़ीन उठा लिया
यकायक एक ही पल में
उन्होंने झुका दिए पैमाने
मेरे हक़ में सभी
ग़म-ए-ज़िन्दगी के बाज़ार में
मैं ऐसे माशूक़ का
शुक्रगुज़ार तो हूँ
लेकिन
बड़ी बेरहम थी वो रात
जब उसने मेरी मोहब्बत से
यकायक यक़ीन उठा लिया
यकायक एक ही पल में
अचानक ही उनका प्यार 
काफुर हो गया 
और दे दी उन्होंने
ज़िन्दगी भर की
कविता की स्याही
मैं ऐसे माशूक़ का
शुक्रगुज़ार तो हूँ
लेकिन
बड़ी बेरहम थी और हैं ये रातें 
की जिनमें मुझे उनका प्यार मयस्सर नहीं 

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