आखिरी ख्वाहिश

तुम मेरी एक आखिरी ख्वाहिश पूरी करोगी?

एक आख़िरी बार मुझसे मिलने आ जाओ
और एक लंबा खंज़र लेकर आना
मेरे दिल पर, मेरी आँतों में, या मेरी गर्दन पर
जहां भी सहूलियत हो उसे घुसेड़ देना
इस निर्जीव शरीर के आर पार
फिर रक्त के हर एक कतरे को
धीरे धीरे
रगों से होते हुए
उस एक सुर्ख निकास से
पूरा निकल जाने देना
मैं उम्मीद करता हूँ
कि तब शायद तुम्हारे इश्क़ में सराबोर ये ख़ून
मेरी रगों से निकल कर
इस जमीं पर दौड़ने लगेगा
आख़िर अच्छा नहीं होता
किसी हसरत को
यूं ही अधूरा छोड़ देना

बड़ा सुकून होगा
उन पलों में
जब जान ले जाने वाले के ही हाथ
जान चली जाएगी
जिंदगी जब मिली नहीं
तो जिंदगी चली जायेगी
पल पल मरने और मर मर के जीने से
ऐसी मौत लाख बेहतर होगी

तुम ये मत समझना जानां
की मैं ये तेरे इश्क़ में करना चाहता हूँ
दरअसल मैं सिर्फ इसे
अपने इश्क़ की ख़ातिर करना चाहता हूँ
अपने सुकून की ख़ातिर करना चाहता हूँ
इसमें तुम्हारा कोई दोष नहीं होगा
मैं आत्महत्या का पत्र लिखकर रख दूंगा
और वक़्त तुम्हें इस एहसान के लिए
जरूर ईनाम देगा
और सुनो,
तुम उस दिन जरूर मेरी लाश को
बस ऐसे ही छोड़ के चली जाना
जैसे तुम आज
उसको छोड़ के जा रही हो

तुम मेरी एक आखिरी ख्वाहिश पूरी करोगी?

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