मेरा मेहबूब मुझसे ख़फ़ा है

मैं चाहता हूँ
की जन्नत में आग लगा दूँ 
की महरूम हो जाएं ये परियां सारे सुख और सुकून से 
की अब इनके बस का कुछ है भी तो नहीं 
की मेरा मेहबूब मुझसे ख़फ़ा है 

ये मद्धम हवाएं जो मुझे उसकी आहट देतीं हैं 
ये शफ़क़ सुब्हा-ओ-शाम की जो उसके ख्यालों से रंगीन होतीं हैं  
ये रात का सन्नाटा जिसमे अक्सर उसकी बातें मेरे साथ होती थी 
ये ज़री वाला आसमान और उसमें छुपा वो तन्हा चाँद 
ये दरिया का तेज बहना 
ये झील का ठहराव 
ये समुन्दर की गहराई 
ये लहरों और झरनों का शोर 
ये दुनिया की रंगत 
जो इस दुनिया में कम और उसकी बातों में ज्यादा होती थी 
ये किस काम की 
जब मेरा मेहबूब मुझसे ख़फ़ा है 

मैं  चाहता हूँ की दफ़्न कर दूँ हर उस किताब को 
की जिसमे  इश्क़ के ख्याल से लिखा एक भी जुमला हो 
मैं चाहता हूँ की बर्बाद कर दूँ 
सारे वो अदाद-ओ-शुमार उन गीतों के जिनमें इश्क़ का ज़िक्र हो 
मैं चाहता हूँ की इश्क़ के अल्फ़ाज़ को मिटा दूँ 
हर इबारत की फरहंग से
की ये  इश्क़ किस काम का 
जब मेरे अल्फ़ाज़ उस पर असर ही नहीं करते 
की ये  इश्क़ किस काम का 
की मेरा दिल थम चुका है और साँसें अब भी जारी हैं 
इस बात के बावजूद  
की मेरा मेहबूब मुझसे ख़फ़ा है 


मैं इकरार करता हूँ 
आये कोई मुजाहिद कोई युवा वाहिनी और मुझे ले जाये 
बताए मुझे किसे फूँकना है 
कहाँ फ़िदायीन बनकर फूटना है 
की मुझे इस ख़ुदा क़ी बनाई किसी चीज़ से कोई त'आल्लुक़ नहीं 
की मेरा मेहबूब मुझसे ख़फ़ा है 

ऐ दुनिया को चाहने वालों 
मै भी डरता हूँ 
की जब उसकी नाराज़गी का ये नतीजा और ये असर है 
तो कहीं उससे तर्क-ए-त'आल्लुक़ न हो जाये 
ऐ ख़ुदा को चाहने वालों 
मेरे सनम को ले आओ 
कहीं मुझसे ख़ुदा का क़त्ल न हो जाये 
कहीं ये दुनिया ख़ुदाई से महरूम न हो जाये 
इस बात की एहमियत को समझो 
की ये इस दुनिया की ख़ैर-ओ-आफ़ियत का मुआमला है 
ख़ुदा की रहनुमाई का मुआमला है 
की मेरा मेहबूब मुझसे ख़फ़ा है 
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1.  महरूम - वंचित (Deprive)
2.  शफ़क़ : सूर्योदय और सूर्यास्त के वक़्त आसमान में फैलने वाली लालिमा 
3. अदाद-ओ-शुमार : डाटा (Data) 
4.  इबारत :  भाषा
5.  फरहंग : डिक्शनरी
6.  इकरार : समर्पण
7.  तर्क-ए-त'आल्लुक़ : रिश्ते का ख़त्म होना
8. ख़ैर-ओ-आफ़ियत : सलामती (Well Being)
9.  रहनुमाई :  Leadership 

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