हे माधव,
तुम अपने मंदिरों में ही तो सोते हो न?
तो जब आसिफा का बलात्कार हो रहा था तो तुम्हारी नींद कैसे नहीं टूटी?
क्या हिंदुत्व के शोर ने तुम्हे भी अंधा बना दिया था?
या क्या तुमने गांधारी की तरह जान बूझकर अपनी आंखों पे पट्टी बांध ली थी धर्मार्थ ख़ातिर?
हे माधव,
मुझे तुम्हारे धर्मबोध पे कोई संदेह नहीं
किंतु अब तुम्हारे मौन रहने से संदेह होता है
संदेह
की कहीं तुम अब असहाय
शक्तिहीन तो नहीं हो गए
आखिर कोई तो कारण रहा होगा
द्रौपदी के चीर की रक्षा करने वाले के
मूक दर्शक बनने का
हे माधव,
कभी कभी तो कुछ लोग कहते हैं
तुम सत्तासीनभक्षको को कुछ नहीं करते
लेकिन कौरवों के नाश को मैं भूल नहीं पाता
तुम कलयुग में भी कौरवों का नाश करोगे ना माधव??
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