मेरी बेरुखी को तू हथियार ना समझ
मेरा अख़्तियार ना समझ
अंगारों पे जिस्म को जला के
मैंने ये चुप रहने का हुनर सीखा है
अपने खून से घाव धोने का असर सीखा है
मेरी बेरुखी को तू हथियार ना समझ
मेरा अख़्तियार ना समझ
अंगारों पे जिस्म को जला के
मैंने ये चुप रहने का हुनर सीखा है
अपने खून से घाव धोने का असर सीखा है
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