हर किसी को यहां इश्क़ की रहमत नहीं मिलती

हर किसी को यहां इश्क़ की रहमत नहीं मिलती
कहीं इश्क़ नहीं होता तो कहीं रहमत नहीं मिलती

चेहरे से किसी के नूर टपके चाहे जितना
बातों में किसी के हो कितनी भी मिठास
गर दिल नहीं लगता
तो क़ुरबत-ए-जाँ नहीं मिलती

मुहब्बत के उलझे रास्तों पे होतीं हैं लाख खताएं
मुज़रिम-ए-मोहब्बत का एहसास-ए-ज़ुर्म
मज़लूम-ए-मोहब्बत का एहसास-ए-दर्द
इश्क़ की कचहरी जो लग गयी
तो चाबूक-ए-फ़िराक़ मिलती है
ताउम्र अज़ाब-रुत की सज़ा मिलती है
किसी दिलबर का दिल जलाने से कोई ठंडक नहीं मिलती
मेहबूब को कठघरे में लाने से इंसाफ की कोई तसल्ली नहीं मिलती

हर किसी को यहां इश्क़ की रहमत नहीं मिलती
कहीं इश्क़ नहीं होता तो कहीं रहमत नहीं मिलती

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