आ
मेरे संग
इस तंग सोच की दुनिया से निकल
चल इस दरीचे को लांघ
तुझे मैं
अपने ख्वाबों के
बगीचे में ले चलूँ
वो दुनियां जहां आज भी
तमन्ना-ए-बा-नुक़्स-ज़िन्दगी ज़िंदा है
वो दुनियां जहां आज भी
मुक़म्मल मुहब्बत पे ऐतबार ज़िंदा है
वो दुनियां जहां
तुझे हासिल
तेरी बंदगी होगी
वो दुनिया जहाँ
हर पल तेरी लहरों के पास
मुझसा साहिल होगा
आ
मेरे संग
इस तंग सोच की दुनिया से निकल
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दरीचा : window
तमन्ना-ए-बा-नुक़्स-ज़िंदगी : Aspiration of a flawless life
मुक़म्मल: perfect
ऐतबार: belief
साहिल: sea shore, beach, coast
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