गुलज़ार

तू ही तो रौशनी थी मेरी ज़िंदगी की
तुझसे ही तो शामें गुलज़ार थीं
मेरे सब ग़मों को मालूम छांव 
बस एक तेरी मुस्कान थी
तेरी यादों की तड़प कैसे बयां करूं तुझसे
तू ही जब मेरी हलक की आवाज़ थी
तू ही बता कैसे मैं तेरी फ़रियाद करूँ
जब मेरी दुआओं में तू ही असर का सार थी
अब तो बस तुझे याद कर के,
आहें भर के जी लेते हैं
तू एक मखमली एहसास थी
जीवन की सार्थकता का आभास थी
तू ही तो रौशनी थी मेरी ज़िंदगी की
तुझसे ही तो शामें गुलज़ार थीं

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