क्या कहूँ तुमसे
कहने को कुछ है भी तो नहीं
शायद तुम यहाँ होती तो बेहतर लगता
शायद बस तुम्हारे साथ कि दरकार है
लेकिन मेरे पास
यूँ बेवजह साथ होने के
बहाने भी तो नहीं
फिर क्या कहूँ तुमसे
किन शब्दों में
और कैसे उड़ेलु
इस कश्मकश को
क्या कहूँ तुमसे
कहने को कुछ है भी तो नहीं
शायद तुम यहाँ होती तो बेहतर लगता
शायद बस तुम्हारे साथ कि दरकार है
लेकिन मेरे पास
यूँ बेवजह साथ होने के
बहाने भी तो नहीं
फिर क्या कहूँ तुमसे
किन शब्दों में
और कैसे उड़ेलु
इस कश्मकश को
Comments
Post a Comment