शामें अब भी पिघल कर रातों में ढलती हैं
मेघ अब भी उमड़ते हैं आसमान में जादू की तरह
बस एक तेरे न होने से कुछ भी जादुई नहीं लगता
शामें अब भी पिघल कर रातों में ढलती हैं
मेघ अब भी उमड़ते हैं आसमान में जादू की तरह
बस एक तेरे न होने से कुछ भी जादुई नहीं लगता
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