मुहब्बत को तेरी मैं माँग नहीं सकता, छीन नहीं सकता
गर नापसन्द हूँ तुझको तो पसन्द आ नहीं सकता
मैं चाहे कुछ भी कह दूं या कर लूं
एक तेरे दिल पे काबू पा नहीं सकता
शायद तक़दीर में तू नहीं मेरे
होती तो मुझे कोई शायद छू नहीं सकता
मुहब्बत को तेरी मैं माँग नहीं सकता, छीन नहीं सकता
गर नापसन्द हूँ तुझको तो पसन्द आ नहीं सकता
मैं चाहे कुछ भी कह दूं या कर लूं
एक तेरे दिल पे काबू पा नहीं सकता
शायद तक़दीर में तू नहीं मेरे
होती तो मुझे कोई शायद छू नहीं सकता
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