ज़मीन से मीलों दूर
गहरे समुंदर के मध्य
भयानक तूफान से घिरे वक़्त में
कभी मैंने अपनी कश्ती को
कभी मेरी कश्ती ने मुझको छोड़ा है
मैं फिर भी जिंदा हूँ
कभी मैं कश्ती के सहारे
कभी कश्ती मेरे सहारे
समुंदर की सतह पर तैरते रहे हैं
मैं आज भी समुंदर में हूँ
थोड़े ठहरे पानी में
कुछ तूफानों से आगे
कुछ तूफानों की प्रतीक्षा में
मेरे पास कश्ती नहीं है
मैं फिर भी डूबा नहीं हूँ
मैं समुंदर में तैरना जान गया हूँ
लेकिन ये भी नहीं है कि मैं थका नहीं हूँ
लेकिन मुझे अब कश्तियों पे भरोसा नहीं
मैं राह देखता हूँ
उस जहाज़ की
जो मुझे समुंदर के पार
ज़मीन तक ले चले
कभी कोई सीटी सुनाई पड़ती है
कोई धुआं दिखाई पड़ता है
कोई दूर से जाती जहाज़ दिखाई पड़ती है
मैं आवाज़ लगाता हूँ
बहुत बार बहुत से जहाज़ों ने मुझे अनदेखा किया है
पर मैं खुदा का बंदा हूँ
मुझे यक़ीन है
मेरी जहाज़ बस आने को है
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