ऐ सनम, मुझे मुआफ़ करना
ऐ सनम, मुझे मुआफ़ करना
मैंने तेरे दर्द-ए-दिल की दुआ की है
नफ़रत तो मैं तुझसे कर न सका
ना तुझे कोई बद्दुआ दी है
माँगा है खुदा से बस इतना की
तेरे दिल में मेरी ख़ातिर क़भी सैलाब उमड़े
तुझे भी कभी मेरी तरह ये यकीं हो
की ज़िंदगी तेरी बेवा है मेरे बग़ैर
लेकिन मैं तुझे न मिल सकूं
वैसे ही जैसे तू मुझे न मिली
तेरी नज़रों से भी कभी
वही बेवजह से आँसू निकलें
तू भी जिन्हें छुपाये ख़ुद से ग़ैरत खाकर
ऐ सनम, मुझे मुआफ़ करना
मैंने तेरे दर्द-ए-दिल की दुआ की है
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