कितने भी वक़्त के गुज़र जाने पर

जब कोई बात आती है ज़ेहन में
जो तुमसे कभी कही नहीं
और तभी ये अनूभूति भी हो जाती है
कि अब कभी ऐसा मौका आएगा नहीं
तो एक ज़रा से पल को
आंखें नम हो जातीं हैं
शायद कुछ भी हो जाने पर
कितने भी वक़्त के गुज़र जाने पर
इतनी तो मुहब्बत
रह ही जायेगी

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