उल्टी बातें

मैं
कभी कभी
उल्टी बातें बोलता हूँ
और देखना चाहता हूँ
की लोग शब्दों पे ही यक़ीन करते हैं
या आंखों पे भी
और ये लोग मुझपे सवा सेर 
आंखों को समझते भी हैं
और शब्दों पे ऐतराज़ भी करते हैं
क्या गज़ब खेल है ना, जिंदगी

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