बिजली ऐसी भी नहीं आती
अभी वहां मेरे गाँव में
की कभी कहीं अंधेरा ही न हो
लेकिन ताखे पे रक्खा
वो लालटेन
जिसपर मकड़ी ने घर बनाया है
चीख़ता है मुझपर
बचपन में तो ख़ूब चमकाया करते थे हुज़ूर
अब क्यों घर नहीं आते
बिजली ऐसी भी नहीं आती
अभी वहां मेरे गाँव में
की कभी कहीं अंधेरा ही न हो
लेकिन ताखे पे रक्खा
वो लालटेन
जिसपर मकड़ी ने घर बनाया है
चीख़ता है मुझपर
बचपन में तो ख़ूब चमकाया करते थे हुज़ूर
अब क्यों घर नहीं आते
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