यूँ तो कुछ भी नहीं बदला

तू तब भी कहाँ मेरी थी
तू अब तो कहाँ मेरी है
यूँ तो कुछ भी नहीं बदला
लेकिन
सन्नाटों के दरम्यान जो फासले हैं
उनके तेवर बदल गए

तू तब भी कहाँ जानती थी
तू अब भी कहाँ मानती है
यूँ तो कुछ भी नहीं बदला
लेकिन
इस दर्द-ए-फ़िराक़ के
ज़ेवर बदल गए

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