तेरे तकिये तले आकर के चाँद

तेरे तकिये तले आकर के चाँद
चुपके से
मेरा ज़िक्र कर जाता तो होगा
तुझे पसंद नहीं ये लेकिन
एक ही करवट में ये ख़याल
जाता तो न होगा
शायद अगली सुबह
तू बग़ैर कुछ खाये रह जाती होगी
शायद ये सिलसिला
एक बार में कई रोज़ चलता होगा
शायद तुझे भी मेरा ज़िक्र
क़ायनात से मिलता होगा
तेरे तकिये तले आकर के चाँद
चुपके से
मेरा ज़िक्र कर जाता तो होगा

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