बड़ी ज़ोर की आँधी चली थी
पिछली गर्मी में
उस आँधी में एक शाख हिल गयी थी नीम की
और उसपर बसा गौरइया का घोसला गिर पड़ा था
गौरइया ने समझा कि गलती नीम की थी
आखिर और शाखें तो ऐसी हिली नहीं थी
गौरइया चली गयी
वो शाख अब भी है नीम पर
लेकिन सूख गई है
उस आँधी के बाद से
एक भी पत्ता इसपर चढ़ा नहीं
कैसा अज़ीब सा लगता है ये नीम का पेड़
आधा हरा
और आधा निर्जीव
आदमी जैसा
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