ज़िंदगी में
कभी न कभी
किसी फुरसत के दिन
मैं उस दिन की डायरी पढ़ कर
जरूर सोचूंगा
की गर उस दिन तूने
एक बार को ही सही
लेकिन
बस एक छोटी सी
कोशिश की होती
तो क्या होता
ज़िंदगी में
कभी न कभी
किसी फुरसत के दिन
मैं उस दिन की डायरी पढ़ कर
जरूर सोचूंगा
की गर उस दिन तूने
एक बार को ही सही
लेकिन
बस एक छोटी सी
कोशिश की होती
तो क्या होता
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