तेरे बाद से



तेरे बाद से 
दिल 
एक खंडहर
हो गया है 
न कोई आवाज़
न कोई आगाज़
बस इंतज़ार
किसी अनहोनी का 
और सिसकियों सी 
सरसराती हवाएँ 
दीपक भी जलाऊं तो
भयानक मंज़र देख के
बुझा देता हूँ
मैं डरता हूँ शायद 
शायद मुझे इसकी 
अभी तक 
आदत नहीं हुई

(Picture: thenational.ae)

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