अधूरी इमारत



समझता हूँ मैं भी 
इसमें किसी की गलती नहीं 
आख़िर 
अंधेरे से घिरी 
किसी इमारत की खूबसूरती पे 
कोई भरोसा करे 
तो कैसे
और जब सारे शहर में 
आँखों से देखी इमारतें 
सर-ए-आम गिरतीं जाएं 
और ये ख़बर नहीं
आपका अपना अफ़साना बन जाये
तो फिर 
आख़िर कोई
अंधेरे में खड़े 
ताज को भी
कैसे सराहे
और जहां ताज की न चले
वहां एक अधूरी इमारत
किसी के आने 
और उसे पूरा करने की 
उम्मीद करे 
तो कैसे 
आख़िर कोई एक अधूरी इमारत 
और पुरातन खंडहर में 
फ़र्क़ करे तो कैसे

(Picture: pxhere.com)

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