पैग़ाम

मौत आने के पहले
उस तक
एक पैग़ाम
पहुँचा दो यारों...
की हर मौके पर
ज़िंदगी के हर मोड़ पर
उसकी याद
बराबर आयी है यारों...
साथी तो मिले हैं हमें
ज़िंदगी तो काटने को काटी ही है हमनें
लेकिन मेरे खौफ़ का
वोही एक हमराज़ है यारों...
मौत आने के पहले
उस तक
एक पैग़ाम
पहुँचा दो यारों...

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