मैं, कवि हूँ प्रिये

मैं जानता हूँ
आज के इस दौर में
शब्द मज़बूर हैं
काव्य पंगु है
और इस विधा से मैं
जीवन को सुखमय और सुंदर
शायद न बना पाऊँ
लेकिन मैं कवि हूँ, प्रिये
मैं फिर भी
जीवन का सौंदर्य
तुम्हें बेहतर दिखा सकता हूँ
उसके अस्तित्व का
एहसास करा सकता हूँ

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