वो कोई एक ही तो शाम होगी
जब ढलते सूरज के तले
तुझे इस बात पर ऐतराम होगा
की मेरा साथ तुझे ज़िन्दगी में
चंद शामों में नहीं
बल्कि ज़िन्दगी की शाम तक चाहिए
तू सोचती है ना
मैं जब चुपचाप कुछ सोचने लगता हूँ
तो क्या सोचता हूँ
मुझे इंतज़ार है उस शाम का
वो कोई एक ही तो शाम होगी
जब ढलते सूरज के तले
तुझे इस बात पर ऐतराम होगा
की मेरा साथ तुझे ज़िन्दगी में
चंद शामों में नहीं
बल्कि ज़िन्दगी की शाम तक चाहिए
तू सोचती है ना
मैं जब चुपचाप कुछ सोचने लगता हूँ
तो क्या सोचता हूँ
मुझे इंतज़ार है उस शाम का
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