सुना है आज भी

सुना है आज भी
शाम ढलने के पहले कुछ देर तकती है उसे
सुना है आज भी
उसकी खुशबू से शहर भर की हवाएं महकतीं है
सुना है आज भी
चाँद उसके माथे पे हाथ रख कर सुलाता है उसे
सुना है आज भी
वो मुस्कराती है तो चमन में फूल खिलते हैं
सुना है आज भी
उसकी अदाएं दिलों को तार तार करती हैं
सुना है आज भी
वो उस जैसी मल्लिका अकेली है
और सुना है आज भी
कभी कभी मेरा भी ख़्याल आता है उसे

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