नासमझ

जाने क्यूँ लोग अक्सर
चाहने वालों को
निगाह नीची करके देखते हैं
नासमझ हैं
जो ख़ुदा को मदीने में देखते हैं
नमाज़ की अदायगी में नहीं

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