आज बहुत वक़्त के बाद फिर वही बुख़ार आया है
जो दवा से उतरता नहीं और दुआ कहाँ बदनसीब पाया है
याद है पिछली बार जब ऐसा बुखार आया था
तो मैंने तुम्हें बुला लिया था
तुम मेरे सर के पास बैठी थी
और बड़े प्यार से
गीली पट्टियाँ रख रहीं थी
मेरे माथे पर
बार बार
आज उन पट्टियों की जरूरत है
लेकिन तुम नहीं हो
तुम ही बताओ
मैं इस बुख़ार को
लौट जाने के लिए कैसे मनाऊँ
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