अदृश्य on May 27, 2019 Get link Facebook X Pinterest Email Other Apps इतनी तो गुज़ारिश की थी फ़क़त की तुम बस देख भर पाती मुझे न जाने क्यों मेरी भावनाएं अदृश्य रह जाती हैं सदैव Comments
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