कभी ऐसे भी दिन थे

कभी ऐसे भी दिन थे
की चाँद में तेरा अक्स दिखता था
और तू पास लगती थी
अब तू सामने भी आ जाती है
तो भी
कितनी दूर रहती है मुझसे

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