कौतूहल

कौतूहल मेरे दिल में इस बात से होता है कि
क्या होता अगर तुम मेरी मुहब्बत को समझ पाती
अगर तुम उस चाहत की संजीदगी को देख पाती
महसूस कर पाती अगर तुम उस निर्मलता को
अगर तुम जान पाती कि ये अखंड दीप जीवनपर्यंत चलेगा
कौतूहल मेरे दिल में इस बात से होता है की
क्या होता अगर तुम मेरी मुहब्बत को समझ पाती

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