सूरज की रौशनी में
चाँद नहीं दिखता
चाँद अंधेरी रात का साथी है
दिन के पास जहाँ की रौशनी तो है
लेकिन चांदनी की शीतलता नहीं
वहीं रात अकेली है
अंधेरे में
गुमसुम सी बैठी हुई
लेकिन उसके पास
चाँद आता जाता रहता है
कुछ रातों की रौनक तो यूँ
की मानो दिन से भी बेहतर
ऐसे में
गर कुछ सितारों की महफ़िल
कुछ अमावस सी रातों को छोड़ दें तो
किसी का इतराना बचकाना लगता है
तो खुद का ग़म में खो जाना भी
शायद इसीलिए तो
दुनिया बनाने वाले ने
दिन और रात के फेरों का
नियम बनाया है
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