कुम्हार की कहानी

एक कुम्हार ने बड़ी देर तक सफ़र करके
साफ मिट्टी इकट्ठी करी
उसे पीठ पर ढोकर
घर लाया
पहले कंकड़ निकाले
फिर पानी से गीला करके
मिट्टी को ढीला किया
चाक बिठाई
उसे चलाया
मिट्टी चाक पर डाली
चाक को लकड़ी से घुमाया
मिट्ठी को हल्के हाथ से सहारा देकर
घड़े के रूप में उठाया
चाक चलती रही
घड़ा बनता रहा
अंत में उसने चाक से
उस कच्चे घड़े को काट कर
उसके स्वरूप को अखंडित होने से बचाकर
बाहर ज़मीन पर रक्खा
कुछ कच्चे घड़े इक्कठे हुए
तो लकड़ी जो उसकी बीवी इकठ्ठा करके गयी थी
उसे जलाकर भट्ठी लगाई
उसमें कच्चे घड़ों को पक्का किया
भठ्ठी से निकाल कर घड़ों को साफ किया
तब जाकर घड़ा तैयार हुआ था
तुमने कितनी आसानी से
इस घड़े को फोड़ दिया है
सोचना चाहिए,
किसी ने कितना परिश्रम किया था इसकी खातिर

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