मैं ये मानता ही नहीं
की तेरी बंदगी करने से मेरी खुदाई कमज़ोर होती है
तू ये समझती ही नहीं
की बंदगी करने वालों में ही असली खुदाई बस्ती है
तेरी मेरी नासमझी में
कहीं ऐसा तो नहीं
की खुदा की कोई साज़िश
मुक़म्मल होती है?
मैं ये मानता ही नहीं
की तेरी बंदगी करने से मेरी खुदाई कमज़ोर होती है
तू ये समझती ही नहीं
की बंदगी करने वालों में ही असली खुदाई बस्ती है
तेरी मेरी नासमझी में
कहीं ऐसा तो नहीं
की खुदा की कोई साज़िश
मुक़म्मल होती है?
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