कुछ तो रब्त है उसको भी मेरे ख्वाबों से

कुछ तो रब्त है उसको भी मेरे ख्वाबों से
रास्ते अधूरे ही सही
बनाता जरूर है
मैं ये समझ नहीं पाता कि वो चाहता क्या है
बाकी की सड़क बनाने में भी तो खुदाई खर्च होगी
वो क्या मुझमें खुद सा खुदा देखता है?

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