बहुत ही अलग सा होता है वो अकेलापन
जिसमें माँ की याद आती है
दूरियां, मजबूरियां,
रिजर्वेशन, टिकट,
महँगाई, खोखली कमाई
बेकार से जिंदगी के सारे मंसूबे,
सब कुछ ही तो
एक साथ काटने लगता है
अचानक
बहुत ही अलग सा होता है वो अकेलापन
जिसमें माँ की याद आती है
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