गुमनाम

लो फिर एक शाम
दफ्तर में ही गुमनाम हो गयी
शुक्र है
ये शाम फिर भी
टूटती उम्मीदों वाली
निराशा भरी शाम से तो बेहतर है
चलो शुक्र है
की एक और शाम
दफ्तर में ही गुमनाम हो गयी

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