अजीब

अजीब 
बेहद अजीब है ये लगाव तुमसे 
न कोई ओर न छोर
न भूत न भविष्य
न वर्तमान ही कोई
फ़िर भी गहरा है समुंदर की तरह
और तड़पता है रेगिस्तान के प्यासे पथिक की तरह
फ़िर भी छूटता नहीं, हारता नहीं, मानता नहीं
ये जो हर नियम से परे चल रहा है
ये इश्क़ अजीब है
बेहद अजीब 

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