तू है तो फ़िज़ाएं गुनगुना रहीं हैं
वक़्त रंगीन है
एक तेरी उम्मीद है तो लगता है
की क्या है जो मुनासिब नहीं है
वरना तो मैंने तेरे बगैर
ज़िन्दगी को अंधेरे में बैठे देखा है
वक़्त को
हवाओं के थपेड़ों के बाद
रोते देखा है
आज तू है तो ज़िन्दगी की चाल में उछाल है
वरना तो हमनें
इन बोझिल कदमों को थमते देखा है
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