इनकी सियासतें तो
बरसों की तरह
हर रोज़ चलती रहेंगी
तू ये बता की किस रोज़
तेरी रूह साँस मेरी भरेगी
कब आज़ाद होंगे परिंदे मेरी तरफ से
कब तेरी चौखट पे रक्खी
मेरी दुवाएँ कुबूल होंगी
ख़ुदा बैठा है तेरे इंतेज़ार में
तूने उसे बेअसर बना रक्खा है
कब तू उसकी ख़ुदाई बहाल करेगी
तू बता किस रोज़ तू ये मूज्ज़ा (miracle) करेगी
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