फिर वही मोड़ है on April 04, 2020 Get link Facebook Twitter Pinterest Email Other Apps ज़िन्दगी में शायद फिर वही मोड़ हैतेरे आने के पहले हीतेरे जाने का बोझ हैन सांस आती है इसमेंन दिमाग चलता हैरूह ने कोई ज़हर खा लिया शायद हवाएं बंद हो गईं हैंसड़क सुनसान है शहर बदरंगदिल के इस बोझ को ए दिल रो के ही सही पर बाहर तो निकाल Comments
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