तेरे यहां आने के इंतज़ार में

रोक कर रखा है मैंने कारवां अपना
तू बैठ करके देख कैसा फिर धूल का गुबार उठे
सितारों से आगे तक हर महफ़िल जवां होगी
जो एक शाम तेरे जाम में उठे
तेरे यहां आने के इंतज़ार में कायनात बैठी है 
कि तू आये और रंगमंच का पर्दा फिर उठे

Comments